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लखनऊ की इंटीग्रल यूनिवर्सिटी की गोल्ड मेडलिस्ट की प्रेरणादायक कहानी: डॉक्टरों के परिवार से ताल्लुक रखने वाली इस होनहार छात्रा ने गणित में गोल्ड मेडल जीता। मां के सहयोग और देखभाल से पढ़ाई में जुटी बेटी ने टॉप किया – Lucknow News

 

इंजीनियरिंग फैकल्टी टॉपर – गोल्ड मेडलिस्ट एमटेक बॉयोटेक की स्टूडेंट अलवीरा परवीन अकिल।

मेरे परिवार में सभी डॉक्टर हैं। मेरी शादी हो चुकी हैं। ऐसे में 2 परिवार मुझसे जुड़े हैं। पर मेरे पति और सास ससुर ने बहुत सपोर्ट किया जिसकी वजह से मुझे पढ़ाई में करने में कोई समस्या नहीं आई। मैंने 5 से 6 घंटे की रेगुलर पढ़ाई की और एग्जाम के दौरान 12 से

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ये कहना हैं, इंटीग्रल यूनिवर्सिटी टॉपर, फैकल्टी ऑफ साइंस और मैथमेटिक्स डिपार्टमेंट की टॉपर इरम नाज का। वो कहती हैं कि परिवार में सभी लोग डॉक्टर हैं, पर मेरा इंटरेस्ट मैथ्स में था और मैं इसी में कैरियर बनाना चाह रही।

इंटीग्रल यूनिवर्सिटी गोल्ड मेडलिस्ट इरम नाज।

पहले मैथ्स से था फोबिया, पर टीचर ने किया दूर

इरम, एक पुराना किस्सा बताते हुए कहती हैं कि एक समय था कि उन्हें मैथ्स से बहुत डर लगता था उनका इंट्रेस्ट भी इस विषय में बेहद कम था और वह बायोलॉजी की तरफ ज्यादा ध्यान देने लगी थी पर इस दौरान उनके मैथ्स के टीचर ने उन्हें खूब मोटीवेट किया और फिर आज वो मैथ्स में गोल्ड मेडलिस्ट के साथ यूनिवर्सिटी टॉपर भी हैं।

मंच से यूनिवर्सिटी टॉपर का मेडल और डिग्री लेती इरम नाज।

एमटेक किया, अब पीएचडी कर रही

एमटेक बायोटेक की छात्रा अलवीरा परवीन अकिल को प्रोग्राम टॉपर का गोल्ड मेडल, इंजीनियरिंग फैकल्टी टॉपर का गोल्ड मेडल, यूनिवर्सिटी टॉपर का सिल्वर मेडल मिला है। वो पीएचडी पूरी करके प्रोफेसर बनना चाहती हैं।

मां ने की देखभाल, डेडिकेशन के साथ की पढ़ाई

अलवीरा कहती हैं कि जो फीमेल स्टूडेंट्स NEET में भविष्य नही बना पाते उन्हें बायोटेक में कैरियर को ग्रूम करने का बहुत अच्छा ऑप्शन रहता हैं। मेरे पिता कतर में रहते हैं। वहीं, पर जॉब करते हैं। ऐसे में सभी चार भाई-बहनों की मां ने ही देखभाल की। मुझे टीचर्स का भी भरपूर सहयोग मिला। ऐसे में कही कोई परेशानी नही आई। पर खुद से मेहनत करना, डेडिकेशन के साथ पढ़ाई करना बेहद जरूरी होता हैं।

इंग्लिश मास्टर्स गोल्ड मेडलिस्ट उनुका नासिर।

इंग्लिश की प्रोफेसर बनना चाहती हैं

रामपुर की रहने वाली उनुका नासिर को मास्टर्स इन इंग्लिश में गोल्ड मेडल मिला। वो कहती हैं कि उन्हें बचपन से उर्दू और हिंदी में रुझान रहा, पर इंग्लिश में वो अच्छा परफॉर्म करती हैं। ऐसे में आज जब मास्टर इन इंग्लिश में आज जब गोल्ड मेडल मिल रहा तो बेहद खुशी मिल रही हैं। पर इस दौरान खूब मेहनत करनी पड़ी। आगे चलकर प्रोफेसर बनने का लक्ष्य हैं।

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