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जोहान्सबर्ग: G-20 का बड़ा ऐलान, UNSC समेत संयुक्त राष्ट्र में सुधार की उठी मांग

 

जोहान्सबर्ग: दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में विदेश मंत्रियों की पहली बैठक में भाग ले रहे जी 20 के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को एक बड़ा ऐलान किया है। जी-20 प्रतिनिधियों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव सहित यूएन में सुधार की तत्काल जरूरत बताई है। बैठक में उपस्थित प्रमुख लोगों में विदेश मंत्री एस जयशंकर, उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव और चीनी विदेश मंत्री वांग यी शामिल थे।

 

बता दें कि दक्षिण अफ्रीका के अंतरराष्ट्रीय संबंध और सहयोग मंत्री रोनाल्ड लामोला ने यहां दो दिवसीय बैठक के समापन पर कहा, ‘‘(जी20) संयुक्त राष्ट्र को उद्देश्य के अनुकूल और वर्तमान अंतरराष्ट्रीय वास्तविकता के लिहाज से प्रासंगिक बनाने के लिए इसमें सुधार की आवश्यकता का समर्थन करता है। इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भी शामिल है।” उन्होंने पहले कहा था कि दक्षिण अफ्रीका का मानना ​​है कि संयुक्त राष्ट्र शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए उपयुक्त मंच बना हुआ है, जिसे वैश्विक शासन की अन्य संस्थाओं का समर्थन प्राप्त है।

वैश्विक शासन प्रणालियों में सुधार की मांग

लामोला ने वैश्विक शासन प्रणालियों में सुधार की व्यापक आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘‘(हम) वैश्विक शासन की अंतरराष्ट्रीय प्रणालियों में सुधार की आवश्यकता का समर्थन करते हैं, जिसमें अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचना, बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली और बहुपक्षीय विकास बैंक शामिल हैं।’’ अपने उद्घाटन भाषण में रामोला ने जी20 प्रतिनिधियों से भू-राजनीतिक मुद्दों का समाधान करने के लिए दक्षिण अफ्रीका के प्रस्तावित दृष्टिकोण का समर्थन करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शांति और मानव विकास के लिए आम राय पर आधारित रणनीति विकसित करने के वास्ते शेरपा, विदेश मंत्रियों और नेताओं के स्तर पर ऐसे मुद्दों पर चर्चा की जानी चाहिए। रामोला ने कहा, ‘‘इस तरह कार्य समूहों में भू-राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा नहीं की जाएगी, जिससे ये बैठकें केवल तकनीकी चर्चाओं पर ही केंद्रित रहेंगी।

वैश्विक संघर्षों पर जाहिर की चिंता

लामोला ने कहा हम विशेष रूप से अफ्रीकी महाद्वीप पर दूसरों को छोड़कर केवल एक संघर्ष की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करने के खिलाफ भी चेतावनी देना चाहते हैं, जैसा कि हाल के दिनों में चलन रहा है।’’ जी20 ने भू-राजनीतिक चर्चाओं के प्रबंधन के लिए दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव का समर्थन किया। बैठक में संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में धीमी प्रगति पर भी चर्चा हुई। लामोला ने कहा, ‘‘(जी 20 देशों ने) संयुक्त राष्ट्र एजेंडा 2030 के एसडीजी लक्ष्यों की प्राप्ति में धीमी प्रगति पर चिंता व्यक्त की। इस उद्देश्य से, बैठक में प्रयासों में तेजी लाने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया गया और (इस बैठक के) विषय – एकजुटता, समानता और स्थिरता के अनुरूप एसडीजी के लिए जी 20 की मजबूत प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।’’ जारी वैश्विक संघर्ष चर्चा का एक और केंद्र बिंदु थे।

सभी देश करें यूएन चार्टर का पालन

लामोला ने कहा, ‘‘ये संघर्ष आर्थिक विकास और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए हानिकारक हैं। कुछ प्रतिभागियों ने शिक्षा, स्वास्थ्य पर युद्धों के प्रभाव को एक प्रमुख चिंता के रूप में उजागर किया। संघर्ष की रोकथाम और शांति-निर्माण में सतत निवेश को प्राथमिकता के रूप में रेखांकित किया गया।’’ उन्होंने कहा कि जी-20 मंत्रियों ने दोहराया कि सभी राज्यों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। लामोला ने कहा, ‘‘संघर्ष में शामिल सभी पक्षों को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रावधानों का पालन करना चाहिए। इन सिद्धांतों के आधार पर यूक्रेन, फलस्तीन, सूडान, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और दुनिया भर के अन्य प्रमुख संघर्षों में न्याय की दिशा में सभी प्रयासों का समर्थन करने पर सहमति बनी।’’

व्यापक भू-राजनीतिक विभाजन को मान्यता

बैठक में व्यापक भू-राजनीतिक विभाजन को भी मान्यता दी गई, जिसने अविश्वास के माहौल को बढ़ावा दिया है। लामोला ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका मंच के काम को आगे बढ़ाने के लिए जी20 के सभी सदस्यों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है और अपनी अध्यक्षता के दौरान समूह की एकता को बनाए रखने के साथ एक सेतु बनाने की भूमिका निभाएगा। दक्षिण अफ्रीका 2025 के लिए जी20 की मेजबानी कर रहा है तथा यह बैठक पूरे वर्ष के दौरान निर्धारित कार्यक्रमों की श्रृंखला की शुरुआत है। जी20 के सदस्यों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका, अफ्रीकी संघ और यूरोपीय संघ शामिल हैं।

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