लखनऊ के ऐतिहासिक छोटे इमामबाड़े के गेटों के मरम्मत का काम जल्द शुरू कर दिया जाएगा। हाई कोर्ट के आदेश के बाद इस काम में तेजी लाई गई। दोनों गेट के पास प्रशासन ने अतिक्रमण हटवा दिया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने छोटे इमामबाड़ा के गेटों की मरम्म
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पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार जीणोद्धार में पारंपरिक मेटेरियल का प्रयोग होगा है। इमामबाडे के मुख्यद्वार में कुछ जगह बड़े-बड़े होल हो गए हैं। इमारत के गुम्बद कई जगह से दरक रहे हैं। टूटे गुंबद को भरने के लिए पुरानी इमारत की मिलती जुलती हुई ईंट का इस्तेमाल किया जाएगा। पारंपरिक सामग्री सुर्खी , बेल, गुड, गोंद , लाल बालू, चुना समेत अन्य वस्तुओं का विशेष रूप से उपयोग किया जाएगा ।
ढांचे में किसी प्रकार का बदलाव नहीं होगा इमामबाड़ा के गेट की मरम्मत में पुरानी इमारत की इंट का प्रयोग इस की मजबूती के लिस किया जाएगा जीणोद्धार के दौरान धरोहर के मूल ढांचे में किसी प्रकार का बदलाव नहीं होगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के मानकों के अनुसार मरम्मत के कार्य होंगे। स्मार्ट सिटी के तहत होने वाले कार्यों की रुपरेखा तैयार कर ली गई है। संबंधित विभाग के आला अधिकारियों की निगरानी में सभी काम पूरे किए जाएंगे।
नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने बताया हेरिटेज जोन होगा अतिक्रमण मुक्त
हेरिटेज जोन में फसाड गाइडलाइन होगी लागू नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने बताया कि इमाम बाड़ा के आसपास के इलाके में फसाड कंट्रोल गाइडलाइन लागू किया जाएगा । इमारतों और साइनेज बोर्ड्स के रंग और आकार एक जैसे दिखेंगे । गाइडलाइन लागू होने के बाद, हेरिटेज जोन का आकर्षण और बढ़ जाएगा। उन्होंने बताया कि ऐतिहासिक महत्व को संरक्षित रखते हुए इसे और आकर्षक स्वरूप देने की कोशिश की जा रही है।
इमामबाड़ा गेट में सुराख
अतिक्रमण मुक्त होगा हरिटेज जोन हेरिटेज जोन के लगभग डेढ किमी क्षेत्र को पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त किया जाएगा। बड़ा इमामबाड़ा, रुमी गेट, घंटा घर, पिक्चर गैलरी , सतखंडा , नौबतखाना और छोटा इमामबाडा के आसपास किसी भी तरह की पार्किंग और अतिक्रमण नहीं होगा। नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने बताया कि हेरिटेज जोन को अतिक्रमण मुक्त बनाने के लिए अवैध दुकाने हटाई जाएगी। हेरिटेज जोन के बाहर पार्किंग की व्यवस्था होगी । पर्यटकों की सुविधाओं को लेकर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
ऐतिहासिक इमारत में उग गई घास
200 साल बाद जीणोद्धार
छोटा इमामबाड़ा और उसके मुख्य द्वार के निर्माण को लगभग 200 साल हो चुके है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण समिति अन्य जिम्मेदार विभागों की लापरवाही के कारण इसकी स्थिति बेहद जर्जर हो गई। बारिश के समय इसके गिरने का खतरा मंडरा रहा है। हाईकोर्ट की फटकार के बाद प्रशासन जागा और जीणोद्धार की तैयारी शुरू कर किया। अब लगभग 200 साल बाद मुख्यद्वार की मरम्मत स्मार्ट सिटी योजना के तहत होना है। मरम्मत कार्य के लिए प्रशासन ने छह करोड़ से अधिक का बजट पास किया है ।