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दक्षिण अफ्रीका के उपराष्ट्रपति ने राष्ट्र निर्माण में हिंदू समुदाय के योगदान की सराहना की।

 

जोहानिसबर्ग: दक्षिण अफ्रीका के उपराष्ट्रपति पॉल माशातिले ने बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण (बीएपीएस) संस्था के बहु-सांस्कृतिक केंद्र और मंदिर के प्रथम चरण का उद्घाटन किया है। इस दौरान माशातिले ने कहा कि बीएपीएस के सिद्धांत दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रीय लोकाचार उबुंटू से मिलते-जुलते हैं। माशातिले ने स्थानीय हिंदू समुदाय की प्रशंसा करते हुए कहा, “हमें राष्ट्र निर्माण में हिंदू समुदाय की भूमिका पर विचार करना चाहिए। इस समुदाय की सांस्कृतिक विरासत एवं मूल्य समृद्ध हैं और इसने हमारे विविधतापूर्ण समाज के सामाजिक ताने-बाने को आकार देने में अहम भूमिका निभाई है।”

 

‘बीएपीएस मानवीय सेवा के लिए जाना जाता है’

उद्घाटन समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने बीएपीएस और दक्षिण अफ्रीकी लोकाचार के बीच समानताएं रेखांकित करने का प्रयास किया। माशातिले ने बीएपीएस की विभिन्न गतिविधियों का उल्लेख करते हुए कहा, “धर्म, सेवा और एकता के बीएपीएस के सिद्धांत वास्तव में साझा मानवता और अंतर संबंध में विश्वास से जुड़े हमारे राष्ट्रीय लोकाचार उबुंटू से काफी मुलते-जुलते हैं।” उन्होंने इस परियोजना को “विश्वास, संस्कृति व एकता का प्रतीक” बताया और कहा कि बीएपीएस मानवीय सेवा, सामाजिक उत्थान और सांस्कृतिक संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है।

माशातिले ने बीएपीएस को मदद के लिए किया आमंत्रित

माशातिले ने कहा, “नया मंदिर ना केवल पूजा स्थल, बल्कि सभी पृष्ठभूमि के लोगों के लिए शांति, ज्ञान व आध्यात्मिक समृद्धि का अभयारण्य भी बनेगा।” माशातिले ने बीएपीएस को देश की चुनौतियों जैसे गरीबी, बेरोजगारी, हिंसा, मादक पदार्थों के सेवन और लिंग आधारित हिंसा से निपटने में सरकार की मदद करने के लिए भी आमंत्रित किया।

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